15.6.2020 /
कोरोना तुम्हारे कारण हम दलदल में फंसते जा रहे हैं --तुम जाते क्यों नहीं !
मेरे ख्याल से उनके शिक्षण में मानवीय मूल्यों का समावेश हो जाता तो पढाई ख तम कर लेने के बाद किसी बड़ी कंपनी या व्यवसाय में नौकरी करके केवल पैसा कमाने की चिंता उन्हें नहीं रहती। न ही जगह -जगह भटकते महीनों गुजार देते। वे अपने ज्ञान को मानवता की भलाई में लगाने वाले कार्य की और बड़े जोश से कदम बढ़ा चुके होते। आज जब हम आत्म निर्भर भारत की बात करते हैं तो इस दृष्टि से शिक्षा के हर क्षेत्र में कौशल और ज्ञान के साथ -साथ मानवीय मूल्य परक शिक्षा का होना अनिवार्य सा लगता है। यही एक रास्ता है कोरोना काल के आर्थिक संकट से जूझने का. मित्रों आपकी क्या राय है इस बारे में --!
कोरोना तुम्हारे कारण हम दलदल में फंसते जा रहे हैं --तुम जाते क्यों नहीं !
बेचारी डिग्री
सुधा भार्गव
कोरोना के कारण लाखों मजदूर बेरोजगार -बेघरबार हो गए हैं इसमें कोई शक नहीं !पर कल दूरदर्शन में यह देखकर चकित हो गई कि इंजीनियर ,एम.ए. और ग्रेजुएट फावड़ा संभाले मिटटी खोद रहे हैं और कुछ शिक्षित ईंटें धो रहे हैं । पूछने पर बोले -हमें लोकडाउन में कहाँ काम मिलेगा !पेट भरने के लिए सोचा जो काम मिल जाये उसे ही कर लें। ।कानों -आँखों पर विशवास न कर सकी --- शिक्षित होने पर भी ऐसी नौबत ! पर वास्तविकता कुछ और ही थी। डिग्री मिले उन्हें कई महीने हो गए हैं। डिग्री तो है पर उनके पास डिग्री के अनुसार योग्यता नहीं है। सपने बहुत ऊंचे रहे होंगे --कम पैसे की नौकरी करना अपनी तौहीन समझा होगा । ग्रेजुएट पास युवक में तो इतनी भी योग्यता नहीं थी कि एप्लिकेशन लिख सके। इसी बीच कोरोना की चढ़ाई हो गई। गाँव किस मुंह से जाते ! घर वालों ने एक एक पाई जोड़ उन्हें पढ़ाया लिखाया होगा पर नौ महीने से कुछ नहीं कमाया बस घरवालों को झूठी तसल्ली देते रहे होंगे । समझ नहीं आता किसे दोष दें! युवकों को या अपनी शिक्षा प्रणाली को।मेरे ख्याल से उनके शिक्षण में मानवीय मूल्यों का समावेश हो जाता तो पढाई ख तम कर लेने के बाद किसी बड़ी कंपनी या व्यवसाय में नौकरी करके केवल पैसा कमाने की चिंता उन्हें नहीं रहती। न ही जगह -जगह भटकते महीनों गुजार देते। वे अपने ज्ञान को मानवता की भलाई में लगाने वाले कार्य की और बड़े जोश से कदम बढ़ा चुके होते। आज जब हम आत्म निर्भर भारत की बात करते हैं तो इस दृष्टि से शिक्षा के हर क्षेत्र में कौशल और ज्ञान के साथ -साथ मानवीय मूल्य परक शिक्षा का होना अनिवार्य सा लगता है। यही एक रास्ता है कोरोना काल के आर्थिक संकट से जूझने का. मित्रों आपकी क्या राय है इस बारे में --!
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