प्रहसन
-मैं चली---मैं चली--। _(ठुमकती हुई सास बोलती है और इठलाती कदम
बढ़ाती है)
बहू –अरे कहाँ चलीं?
-डीयर
प्यार के सागर में ज्वार भाटा आता रहा
तेरा
कंजूस ससुरा मुझे सताता रहा
ज़िंदगी बिता दी तेरे मियां को पालने में
मेरे भी अब खाने -खेलने के दिन आ गए
ले घर की चाबियाँ, सँभाल चकला-बेलन
मैं चली---मैं चली-----।
बहू-उफ,कहाँ सवारी चली।
सास-क्लब और कहाँ ! हाँ याद आया,कल मेरी पंचासवीं
वर्षगांठ है। बहुत कुछ कहना है –बहुत कुछ लेना है। तू तो बस
वही हीरों का हार दे दीजो जो तुझे अपनी माँ से मिला है।
-वह तो असली नहीं नकली है सासु जी ।
सास-ओह तेरी बातों ने तो मेरे सिर में दर्द कर
दिया । तेरे बाप ने तो दिन दहाड़े हमें मूर्ख बना दिया। जल्दी से एक कप चाय पिला।
-अभी लाई।
-क्या कहा !आधे घंटे बाद लाई?
-लो सठियाना शुरू हो गया । (बड़बड़ाती बहू जाते-जाते लौट पड़ती है।)
-सासु जी,इलायची की चाय लाऊं या मसाला चाय । तुलसी की चाय भी अच्छी
होती है।
-तीनों को एक साथ घोंट कर बना ले। बस जल्दी ला।
-कप में लाऊं या गिलास में?
-बड़े से कप में ला । शान से पीऊंगी।
-अमेरिकी कप चलेगा या भारतीय ?
-अमेरिकन कोरल वाला कप ।
-चाय मीठी लाऊं या फीकी?
-तू तो जाने है ,डॉक्टर ने फीकी ही बताई है पर कभी कभी मीठी चाय पीने
से कुछ न होवे। दो चम्मच तो डाल ही दे।
-चीनी डालूँ या शुगर फ्री टेबलेट डालूँ सासु जी?
-ओह सासु जी की बच्ची ,तेरे प्रश्नों की
बौछार से तो मेरा सिर फटा जा रहा है। कोई टेबलेट ला कर
दे।
-एस्परीन लाऊं या सेरिडोन ?
-हाय—हाय ,लगता है क्लब जल्दी ही जाना
पड़ेगा। सिर को दबाती सास उठ जाती है।
-आप जा रही हैं सासु जी ,टैक्सी मंगाऊं?
-हाँ,मंगा दे।
-ओला मंगाऊ या पोला?
-मुझे न चाहिए तेरी ओला-पोला । कुछ और
देर तेरे पास बैठी रही तो पागल ही हो जाऊंगी। मैं खुद ही रास्ते से ले लुंगी।
(सास कमर पर हाथ रखे धीरे -धीरे जाती है।)
आँखों से ओझल होते ही बहु खुशी से हाथ हवा में नचाती बोलती है-
-जाओ,जा –ओ। हा –हा –चला गया सिर दर्द।
बोले तो कलेजे पर बंदूक चलती है
छींकती है तो धम से छ्ज्जा गिरता है
खांसी के धमाके से शीशी टूटती है
इसके होने से मेरी तकदीर फूटती है।
(माथे पर हथेली टिकाए बहू का प्रस्थान।
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