चुटकियाँ
एक अनाड़ी कवि धुरंधर कवि के पास गया और
बोला-
मेरे भगवान
दो वरदान
मेरी कविता छप जाए
जन जन
मेरे गुण गाएँ
बस एक बार –एक बार
देख लो कविताएं मेरी ।
कवि जी ने हाथ बढ़ाया
कागजों पर चश्मा दौड़ाया
बोले-
पढ़िये ,परखिये फिर माँजिए।
अनाड़ी घर पहुंचा
पुन: कवितायें पढ़ीं –परखीं
फिर जोश में चिल्लाया –
अरी मेहरी
जूना और राख ला
मेरी कविताओं को माँज-माँज
चमका दे जरा।
प्रकाशित -मार्च 2017
http://hindi.pratilipi.com/read?id=5785897273393152&ret=/sudha-bhargav/meri-kavita
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें