तुझसे प्यार करूँ
सुधा भार्गव
मन करता है साथ रहूँजितना फैला आसमान है
उतना तुझसे प्यार करूँ !
गीतों में भावों की लड़ियाँ
पांवों में हो पायल की झंकार
आँचल में हों चाँद- सितारे
धड़कन में हो तेरी याद !
मन करता है साथ रहूँ
जितना गहरा नील समुन्दर
उतना तुझसे प्यार करूँ !
उठती -गिरती लहरों के दर्पण में
छवि तेरी निरख -निरख
शांत भाव से खड़ी किनारे
आंखों के कर लूँ बंद कपाट !
मन करता है साथ रहूँ
जितनी हरीतिमा धरती पर
उस जैसा तुझसे प्यार करूँ !
वासंती स्वप्नों की दुनिया में
तितली बन मकरंद पिऊ
झरती बूंदों की ठप -ठप पर
विरहा नागिन सा नृत्य करूँ !
मन करता है साथ रहूँ
जितना फैला आसमान है
उतना तुझसे प्यार करूँ !
समाप्त
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