मेरा शिक्षक दिवस
2020
एक आश्चर्य
साथियों कल शिक्षक दिवस खूब उमंग उत्साह से मनाया
होगा । हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। सुबह
से ही मुबारकबाद के वाट्सएप पर मैसेज आने लगे । बहुतों ने तो एक शब्द टाइप करने की भी जिल्लत न उठाई और दूसरों से
मिले रगबिरंगे कार्ड से चिपके संदेश हमारी ओर धकेल दिये। न किसी के बोल सुने
न हम ही किसी से दो बोल बोले। न कोई हमारे यहाँ आया न हम जाकर किसी के गले लगे। गुरू
–शिष्य का नाता धूमिल सा नजर आया। संध्या
होते होते जब सारे दिन पर नजर डाली तो टीचर्स डे आधा –अधूरा सा लगने लगा।
रात के करीब 10 बजे बत्ती बुझाकर लेटी ही थी कि घंटी
बज उठी। इतनी रात गए किसका फोन! हड़बड़ा कर मोबाइल कान से लगाया-
"कौन?"
"अम्मा मैं इनिका,
मैं आपके पास आ रही हूँ।"
"इतनी रात में! कल आ जाना।"
"नहीं अम्मा मुझे अभी आना है।"
"अच्छा बेटा आ जाओ,पर
अकेले न आना ।"
'ठीक है मैं मम्मी के साथ आ जाऊँगी।'
इनिका मेरी सबसे छोटी पोती है। कक्षा 9 में पढ़ती हैं। उसके
इंतजार में दरवाजे के पास कुर्सी पर बैठ गई और सोचने लगी –ऐसा क्या काम पड़ गया जो
वह आ रही है। दरवाजे पर दस्तक पड़ते ही चटकनी खोली । इनिका और उसकी बड़ी बहन अवनि जो
कक्षा 11 की छात्रा है बड़े स्नेह से मेरे लिपट गई और बोली –"अम्मा Happy
Teachers Day। मैं खुशी से पागल हो गई। सारे दिन के शिकोशिकवा
गलकर पल में बह गए। दूसरे पल ही ऐसा चमत्कार हुआ कि मैं अभिभूत होकर रह गई। मेज पर
एक छोटी सी प्यारी सी चॉकलेट केक रखी थी ।मेरी प्रश्न भरी नजर उठी तो अवनि बोली-"अम्मा यह केक इनिका ने
आपके लिए अपने आप बनाया है। मैंने इनिका को
गले से लगा लिया। एक छोटी सी बच्ची के दिमाग में इतनी बड़ी बात ! जो बड़ों -बड़ों से
न टकराई। वह मिठास भरी आवाज में बोली-"अम्मा
अब आप फटाफट केक काटो।हम फोटो खींचेंगे।"
फिर क्या था केक काटी ,मिलमिलकर
खाई । हैपी टीचर्स डे की गूंज से रात भी उजास से भर उठी। खुशी के अतिरेक से रात भर
न सो सकी। आज कुछ शिक्षक मित्रो को मैंने अपना सुखद अनुभव सुनाया और केक से मुंह
मीठा कराके अपनी खुशी का इजहार किया। तो कैसा रहा मेरा शिक्षक दिवस उत्सव!
नमन आपको और शुभाशीष कहानी की दोनों पोतियों- इनिका और अवनि को .. प्रकृति की ओर से इस वर्ष के आगामी शिक्षक दिवस के शुभ अवसर के लिए अग्रिम सकारात्मक शुभकामनाएं .. बस यूँ ही ...
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